Sunday, August 23, 2020

आत्माश्रित करूणा - Compassion

 किसी ने गुस्सा किया। तो देखे उसके अन्दर अनिष्ट बुद्धि थी। ’यह पर पदार्थ मेरे लिये बुरा है’ यह अज्ञान था- विभाव था - रोग था। मतिज्ञान और श्रुतज्ञान में यह विशेषता है कि वो गलत ज्ञान भी कर सकता है - और उसने भी कुछ गलत ज्ञान कर लिया। वो अनिष्ट बुद्धि के कारण और क्रोध कर्मे के उदय उदीरण से उसकी आत्मा रोगी होकर - गुलाम होकर - मोहित होकर द्वेष करने लगा। उस क्रोध को रोग जानकार करूणा करना।



1 comment:

Unknown said...

आपकी पोस्ट पर कमेंट लिखना तो अन्याय होगा यह तो जीवन में उतारने का नुस्खा है

प्रश्न: जब शरीर भी नहीं हूं, तो आत्मा साधना ही करूं, परिवार वालो के प्रति कर्तव्यो का निर्वाह क्यों करूं?

उत्तर : हमारे अन्दर कितनी विरक्ति होती है उसके अनुसार ही कार्य करने योग्य है। अगर जीव में पर्याप्त विरक्ति है, तो परिवार छोङकर सन्यास धारण क...