🌿 *इच्छा और अपेक्षा* 🌿
1️⃣ इच्छा क्या है?
इच्छा एक कामना है — किसी बात के होने की सरल अभिलाषा।
जैसे —
> “मुझे अच्छा स्वास्थ्य चाहिए।”
> “मैं चाहता हूँ कि मेरा परिवार सुखी रहे।”
इच्छा में जबरदस्ती नहीं होती।
अगर इच्छा पूरी न भी हो, तो थोड़ी निराशा होती है, पर मन शांत रह सकता है —
क्योंकि हम जानते हैं कि यह केवल एक चाह थी, कोई अधिकार नहीं।
2️⃣ अपेक्षा क्या है?
अपेक्षा का अर्थ है — किसी व्यक्ति या परिस्थिति से उम्मीद रखना कि “ऐसा ही होना चाहिए।”
यह इच्छा से एक कदम आगे है — जहाँ व्यक्ति अपने मन की बात को दूसरों पर थोप देता है।
जैसे —
> “मैंने इतना किया, अब सामनेवाले को भी वैसा ही करना चाहिए।”
> “उन्होंने मेरी तारीफ़ करनी ही चाहिए थी।”
अपेक्षा में आसक्ति और अधिकारभावना गहरी होती है।
जब यह पूरी नहीं होती, तो मन में क्रोध, दुख और कटुता भर जाती है।
3️⃣ क्यों अपेक्षा अधिक हानिकारक है?
अपेक्षा हमेशा दूसरों पर निर्भर होती है —
और जब हम अपना सुख दूसरों के व्यवहार से बाँध देते हैं,
तो मन अशांत और अस्थिर हो जाता है।
🌸 सारांश:
हमारे लौकिक जीवन में इच्छाएँ सीमित रूप में उपयोगी और प्रेरक हैं,
पर अपेक्षाएँ प्रायः दुःख और असंतोष का कारण बनती हैं।
No comments:
Post a Comment