किसी ने गुस्सा किया। तो देखे उसके अन्दर अनिष्ट बुद्धि थी। ’यह पर पदार्थ मेरे लिये बुरा है’ यह अज्ञान था- विभाव था - रोग था। मतिज्ञान और श्रुतज्ञान में यह विशेषता है कि वो गलत ज्ञान भी कर सकता है - और उसने भी कुछ गलत ज्ञान कर लिया। वो अनिष्ट बुद्धि के कारण और क्रोध कर्मे के उदय उदीरण से उसकी आत्मा रोगी होकर - गुलाम होकर - मोहित होकर द्वेष करने लगा। उस क्रोध को रोग जानकार करूणा करना।
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मैं किसी को छूता ही नहीं
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1 comment:
आपकी पोस्ट पर कमेंट लिखना तो अन्याय होगा यह तो जीवन में उतारने का नुस्खा है
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