Saturday, February 27, 2010

Poem - VidyaSagar Ji Maharaj

Acharya Vidya Sagar Maharaj Ji ke CHarno me prarthana:


चरणो मे वन्दन है प्रभुवर, अगर धूल चरणो की मिल जाये

आपका पथ पालन करू, तो क्या आश्चर्य अगर महावीर भी मिल जायें


वीतरागता का मार्ग बताते, सृष्टि का सत्य स्वरूप बताते

उस दृष्टि से विश्व को देखू, तो क्या आश्चर्य अगर संसार मिट जाये


तुम चरणों मे लिपट जाऊं, ऐसा सौभाग्य कब आये

तुम आशीष मिल जाय, तो क्या आश्चर्य संयम प्रकट हो जाये


तुम उंगली पकङ कर चलू, ऐसा सौभाग्य कब होगा

तुम अमृत वचन का पालन करू, तो क्या आश्चर्य सत्य प्रकट हो जाये


विश्व रहस्यों को जानने वाले, तुम आत्मा को जानने वाले

तुम मार्ग पर निकलू, तो क्या आश्चर्य शुद्धात्मा प्राप्त हो जाये

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