Saturday, July 18, 2020

शास्त्र का अध्ययन क्यों करना?

👉🏻क्या इसलिये करना कि मैं दूसरे को पडाऊं। और दूसरो को पढ़ाके लोग कहें कि ’बहुत ज्ञान है’ इसमें सन्तुष्ट हो जाऊं?
👉या अपना समय व्याकरण आदि पढ़ने में गवा देना। या आलू प्याज का त्याग करके सन्तुष्ट हो जाना। या पाप से हटके पुण्य में सन्तुष्ट हो जाना?

*शास्त्र अध्यायन का प्रथम प्रयोजन है* - तत्व ज्ञान। अध्यात्म शास्त्रो से 7 तत्व तो पढ़ लिये, मगर 
👉मैं ज्ञान हूं, ऐसी मान्यता नहीं हुई। अपने को अनादि अनन्त जीव तत्व नहीं जाना
👉ये क्रोध, बुद्धि, intelligence, talent, शरीर, धन, परिवार का मेरे से किस प्रकार का सम्बन्ध है - ये नहीं जाना
👉अपने उठने वाली कषाय और अश्रद्धान को आस्रव नहीं देखना शुरू किया, उसे छोङने लायक नहीं जाना
👉अपने अन्दर आठ कर्मो की सत्त्ता को स्वीकार नहीं किया, और उसे अहितकारी रूप स्वीकार नहीं किया
👉मिथ्यात्व, पाप, कषाय रहित होकर मैं कर्मो को रोक दूं - ऐसा लक्ष्य नहीं लिया
👉तपस्या से मैं सारे कर्मो का नाश कर दू - ऐसा लक्ष्य नहीं लिया
👉सब कर्म, शरीर से सदा के लिये मुक्त हो जाऊं- उस मुक्त अवस्था को दुनिया में सबसे उत्तम अवस्था नहीं मानी। और संसार के अन्य अवस्थाओं के पीछे भागता रहा
👉आस पास के जीवो को आत्मा और कर्म और शरीर से मिला जुला पिण्ड ना देखकर उसे एक पर्याय रूप ही देखता रहा

तो फ़िर मेरे शास्त्र अभ्यास का क्या फ़ायदा?

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