Monday, April 6, 2020

[नीती] ग्रहण और त्याग

जीवन में कुछ छोङना हो या ग्रहण करना हो तो उसके गुण और दोषो का, उससे होने वाले लाभ और अलाभ का सम्यक विचार करो। उसके ग्रहण या त्याग से मेरे को क्या सुख होगा, या क्या दुख होगा। इसका पूर्ण विचार करो, तभी उसके ग्रहण या त्याग में तीव्र अनुराग होगा और उसमें पुरूषार्थ भी सच्चा होगा।

त्याग या ग्रहण करने वाली चीजे छोटी भी हो सकती हैं या बढ़ी भी। छॊटी चीजे जैसे टीवी को देखना छोङ देना इत्यादि। बढ़ी चीजे जैसे साधु बन जाना या व्रत ले लेना।

जो वर्तमान में ग्रहण या त्याग किया है उस पर भी विचार करना चाहिये कि उसमें मेरे को फ़ायदा है या नुकसान। और विचार कर जो सम्यक लगे वैसा चारित्र में लेना चाहिये

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