मेरा कल्पनायें | वास्तविकता |
विषय सामग्री के मिलने पर मैं सुखी हूं। और ना मिलने पर मैं दुखी | कषाय रहित होने में मैं सुखी, सहित होने पर मैं दुखी |
धन होने पर मैं सुखी, दरिद्र होने पर मैं दुखी | same as above |
मान होने पर मैं दुखी, मान ना मिलने पर या अपमान होने पर मैं दुखी | same as above |
ये व्यक्ति अच्छा है, ये बुरा है (इष्ट अनिष्ट बुद्धि) | ना कोई अच्छा, ना कोई बुरा |
यह कार्य मैने ही किया | कई निमित्तो से मिलकर कार्य हुआ |
यह वस्तु को मैने भोगा | |
संयोगी अवस्था को अपना माना। उसमें इष्ट अनिष्ट पना मानना। मैं रंक, राजा, पदाधिकारी, रागी, द्वेषी आदि। | मैं मैं हूं, संयोग तो अनेक द्रव्यो से मिली जुली पर्याय है |
Expectations ना पूर्ण होने पर दुखी, पूरी होने पर सुखी |
Expectations ना होने पर सुखी |
न्याय मिलने पर सुखी, अन्याय पर दुखी |
कर्म सिद्धान्त की दॄष्टि से सब कुछ ही न्याय है |
ऐसा लगता है कि ये धन, सम्बन्धी हमेशा मेरे साथ रहने वाले हैं |
सारे संयोग अनित्य हैं |
मुसीबत में ये मित्र ही मेरी शरण हैं |
दुनिया में कोई भी मेरी शरण नहीं |
Tuesday, October 1, 2019
मेरा कल्पनायें
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