द्वैत:
शत्रु - बन्धु
सुख - दुख
प्रशंसा - निन्दा
सोना - कांच
जन्म - मरण
शत्रु - बन्धु
सुख - दुख
प्रशंसा - निन्दा
सोना - कांच
जन्म - मरण
अद्वैत:
सब पर!
सब पर!
संसारी जीव: सोचता है विषयो से सुख मिलेगा, तो उसके लिये धन कमाता है। विषयो को भोगता है। मगर मरण के साथ सब अलग हो जाता है। और पाप का बन्ध ओर ...
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