द्वैत:
शत्रु - बन्धु
सुख - दुख
प्रशंसा - निन्दा
सोना - कांच
जन्म - मरण
शत्रु - बन्धु
सुख - दुख
प्रशंसा - निन्दा
सोना - कांच
जन्म - मरण
अद्वैत:
सब पर!
सब पर!
वास्तविक जगत और जो जगत हमें दिखाई देता है उसमें अन्तर है। जो हमें दिखता है, वो इन्द्रिय से दिखता है और इन्द्रियों की अपनी सीमितता है। और जो ...
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