- जब तक यह बुद्धि नहीं होगी कि यह परिवार छोङने लायक है। तब तक परिवार के कार्यो में आसक्ति ही रहेगी।
- जब तक यह बुद्धि नहीं होगी कि यह धन छोङने लायक है। तब तक धन कमाने में आसक्ति ही रहेगी।
- जब तक मतिज्ञान श्रुतज्ञान पर्याय में हेय बुद्धि नहीं आयेगी, तब तक अपनी बुद्धि का मद छूटना मुश्किल है।
- वर्तमान में आवश्यकता/मजबूरी वश कार्य करने पङ रहे है, मगर यह छोङ देने लायक है और मोक्ष पर्याय की प्रकटाने लायक है- जब तक यह बुद्धि नहीं होगी तब तक आसक्ति तीव्र रहेगी। क्योंकि एकान्त से उसे उपादेय माना है। और इससे दुखी भी होगा।
No comments:
Post a Comment