जब दूसरे को क्रोध या कषाय पूर्वक दुख पहुंचाने के भाव हैं तो वो संकल्पी हिंसा है। और जब अपने को बचाने के लिये दूसरे का घात होता है, उसमें दूसरे को दुख पहुंचाने का क्रोध पूर्वक भाव नहीं है- वरन अपने को बचाने का भाव है.. वह विरोधी हिंसा है।
Saturday, March 13, 2021
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मैं किसी को छूता ही नहीं
वास्तविक जगत और जो जगत हमें दिखाई देता है उसमें अन्तर है। जो हमें दिखता है, वो इन्द्रिय से दिखता है और इन्द्रियों की अपनी सीमितता है। और जो ...
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रत्नकरण्ड श्रावकाचार Question/Answer : अध्याय १ : सम्यकदर्शन अधिकार प्रश्न : महावीर भगवान कौन सी लक्ष्मी से संयुक्त है...
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The overview of 8 anga is at: http://www.jainpushp.org /munishriji/ss-3-samyagsarshan .htm What is Nishchaya Anga, and what is vyavhaar: whi...