Friday, September 10, 2021

ज्योतिष और अध्यात्म

 ज्योतिष का ज्ञान धर्म की वृद्धि में कैसे सहायक है:

कर्म की सत्ता में विश्वास: कर्म दिखाई नहीं देता, इसलिये उस पर विश्वास करना भी कठिन रहता है। मगर ज्योतिष में किसी के जीवन के बारे में उसके जन्म समय में ग्रह और नक्षत्रो की स्थिति के आधार पर भविष्यवाणी करी जा सकती है। इसके पीछे क्या आधार है? जब यह चिन्तन करते हैं, तो एक कर्म व्यवस्था पर ही विश्वास करना पङता है।

सहिष्णुता में वॄद्धि: हम दूसरे लोगो के कुसंस्कार और अन्य बाते देखके असहिष्णु हो जाते हैं। मगर कुण्डली के द्वारा दूसरे व्यक्ति के संस्कार दिखाई पङते हैं, जो वो पिछले भव से लेके आया है। इसे देखके हम अनेक प्रकार के व्यक्तियों के प्रति सहिष्णु हो जाते हैं।

विनम्रता: कई बार हम अपने को बहुत बढ़िया समझते हैं, और वो अज्ञान भी होता है। मगर कुण्डली विश्लेषण से हमे अपने से भी अच्छे लोग दिखाई देते हैं। अपने मान वश हो सकता है हम उनके गुणो के प्रति नम्र ना हो रहे हैं - मगर कुण्डली तो एक गणित की तरह है- ये हमें नम्रीभूत करता है।

अपनी कमियों का  भान: कई बार हम अपनी कमियों को कमी नहीं मान पाते। जैसे किसी व्यक्ति को बाल की खाल निकालने की आदत हो, मगर वो इसे अपनी कमी ना मानकर यह मानता हो कि- ’मेरे अन्दर विश्लेषण करने की शक्ति बहुत है’। इस प्रकार के भ्रम को कुण्डली से जाना जा सकता है। साथ में कोई व्यक्ति अपने को बहुत धर्मात्मा अगर समझे, तो वो अपने को कुण्डली के आधार पर देख सकता कि वो वास्तव में कितना धर्मात्मा है और भ्रम को सही कर सकता है।

धर्म में प्रगति: 9, 12, 1 आदि भावो के द्वारा देखा जा सकता कि धर्म की प्रगति में क्या बाधा हो सकती है। उसके लिये मंत्र जाप द्वारा उसका समाधान भी किया जा सकता है।

मोक्ष की रूचि: अपने कर्मो का लेखा जोखा का अन्देशा कुण्डली के द्वारा हो जाता है, और इस प्रकार इन कर्मो से मुक्त होने की भावना भी बलवती हो जाती है।

भविष्य में आने वाले कर्मो को बदलना: भविष्य में आने वाले कर्मो के उदय की जानकारी होने से धर्म साधना आदि से उसे बदलने का पुरूषार्थ भी किया जा सकता है।

पाप से भय: ज्योतिष से यह समझ में आता है कि अनेक ग्रह अनेक लोगो से जुङे हैं। जैसे चन्द्रमा के लिये माता, सेवक के लिये शनि  ग्रह, विद्वान के लिये बुद्ध ग्रह आदि। इन लोगो के प्रति सही कर्तव्य ना रखा जाय तो इन ग्रह से अनिष्ट की सम्भावना बन जाती है। ऐसा जानने पर व्यक्ति भय वशात सबके प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करता है।

इस प्रकार अनेक तरीके से ज्योतिष ज्ञान हमें अध्यात्म में साधन बनता है।

मैं किसी को छूता ही नहीं

वास्तविक जगत और जो जगत हमें दिखाई देता है उसमें अन्तर है। जो हमें दिखता है, वो इन्द्रिय से दिखता है और इन्द्रियों की अपनी सीमितता है। और जो ...