🌼जब राजा ने सेठ सुदर्शन को मारने की आज्ञा दी, तो सेठ जी ने कोई अपनी तरफ़ से सफ़ाई नहीं दी। रानी का दोष नहीं बताया, मगर समता से ही सब कुछ सहा। अपनी पत्नी और पुत्र के प्रति ममता ने उनको व्याकुल नहीं किया - कि मेरे मरने के बाद उनका क्या होगा?
🌼जब कपिला ने उनसे गलत सम्बन्ध के लिये कहा, तो उन्होने बङी चतुराई से यह कह दिया- कि मैं तो नपुंसक हूं, जिससे कपिला के मन का विकार ही समाप्त हो जाये। और अपने मान की परवाह नहीं की।
🌼पिछले भव में गवाले थे। और सम्यग्दॄष्टी नहीं थे। इस एक ही भव में उन्होने महान पुरूषार्थ से एक आदर्श श्रावक बने, उपसर्गो को सहा, फ़िर मुनि बने और फ़िर उपसर्गो को सहा और पटना से केवलज्ञान प्राप्त किया।
🌼जिस प्रकार से उपसर्ग उन पर रानी और वैश्या ने किये, उनको जीत पाना विरले जीव ही कर सकते हैं।
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