Thursday, July 2, 2020

कर्तत्व/भोक्तृत्व भाव से मेरा नुकसान

हम देखे कि किस किस प्रकार की कार्यो में मेरा कर्तापना होता है:
👉🏻मैंने सम्पत्ति इकट्ठी करी, दूसरो को समझाया, किताबे लिखी, परिवार पाला, कलायें सीखे, खेल खेले, विषय भोग भोगे, इत्यादि

किस किस प्रकार की कर्ता पने से कषायें होती हैं -
👉🏻’देखो मैने ये ये कार्य किया’ इस प्रकार का मान
👉🏻’देखो, उसे ये भी करना नहीं आता’ - इस प्रकार से दूसरे के प्रति तिरस्कार
👉🏻’उसने यह करना कैसे सीख लिया’ - इस प्रकार से ईर्ष्या
👉🏻’मैं भविष्य में ये करूंगा, ये करना मैं सीखूंगा’ - इस प्रकार का लोभ
👉🏻’जो मुझे करना आता है, वो मुझसे छूट ना जाये’, ’दूसरे मेरे कार्य को तिरस्कार तो नहीं करेंगे’  - इस प्रकार का भय
👉🏻’अगर कोई मेरे कर्तत्व में बाधक आये’ - उसके प्रति क्रोध, भय
👉🏻’हाय मैने ऐसा क्यों कर दिया’ - ऐसा शोक


और ऊपर वाली कषायो से प्रेरित होकर जीव हिंसा, झूठ, चोरी, परिग्रह, कुशील - ये पांच पाप भी करता है।

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भोक्तृत्व भाव से मेरा नुकसान
ये मैने सुख भोगा, दुख भोगा - इस प्रकार के विकल्प चलते रहते हैं।

सुखद अनुभव से राग, सन्तोष का अनुभव करता है, और दुखद अनुभव के प्रति द्वेष का अनुभव करता है।

किस किस प्रकार की भोक्ता पने से कषायें होती हैं -
👉🏻’देखो मैने ये ये सुख भोगा ’ इस प्रकार का मान
👉🏻’देखो, उसे ये तो सुख मिला ही नहीं’ - इस प्रकार से दूसरे के प्रति तिरस्कार
👉🏻’उसने यह कैसे सुख भोग लिया’ - इस प्रकार से ईर्ष्या
👉🏻’मैं भविष्य में ये भोगूंगा’ - इस प्रकार का लोभ
👉🏻’जो मैं भोगता हूं, वो मुझसे छूट ना जाये’  - इस प्रकार का भय
👉🏻’अगर कोई मेरे सुखद भोक्तृत्व में बाधक आये’ - उसके प्रति क्रोध, भय
👉🏻’हाय मैने ऐसा क्यों दुख भोगा’ - ऐसा शोक

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