*पर कर्तत्व का उदाहरण*:
- मैने उस व्यक्ति को सुधारा
*स्व कर्तत्व*:
- मैने अपना योग उपयोग किया, और उसके निमित्त से वाणी की क्रिया हुई, उसके निमित्त से और व्यक्ति अपने उपादान कारण से सुधरा।
*पर कर्तत्व में भूल*:
- व्यक्ति के उपादान कारण को गौण करके, सारा कर्तत्व खुद पर ले लिया।
- मेरे अलावा अन्य निमित्त कारणो को गौण करके सारा कर्तत्व खुद पर ले लिया।
*पर कर्तत्व से नुकसान*:
- ’मैने सुधारा’ - मैने अपने को सुधारने का स्वामी मान लिया। कर्तत्व के अर्जन, संरक्षण, विनाश में संक्लेश प्राप्त करता है। मैं ऐसा ओर करूं, करता रहूं, इसे करने से आनन्द नहीं है- इसलिये ये ना करू - इन्ही में लीन रहता है। ये एक प्रकार की मूर्छा है। ऐसे ही औरो को सुधारने के भाव में(अर्जन), जिसको सुधारा है उसके रक्षण में, जिसको सुधारा है उसके बिगङ जाने में क्लेश को प्राप्त हूंगा।
Example: Jab tak mein sochta hun ki meine putra ko paida kiya.. tab tak uske prati raag naheen khatam ho sakta
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