दो कैदी थे। २५ साल की सजा थी। जेलर आया और उसने उनके हाल चाल पूछे। पहले कैदी ने कहा कि सब बढिया है बस पानी थोङा खराब है और उसके लिये अच्छे पानी की व्यवस्था कर दी जाये। दूसरे कैदी ने कहा कि उसे जेल में नहीं रहना। और पूछा कि मुझे तरीका बताओ कि मैं कैसे अपनी सजा को कम कर सकता हूं। अब आप ही सोचिये कि कौन सा कैदी जल्दी से जेल से मुक्त होगा?
ऐसी ही भक्त भी दो प्रकार के होते हैं। एक को कुछ कष्ट परेशान करते रहते हैं, और प्रभु के पास जाकर भी वो ही ध्यान आता है। कहता है कि - हे प्रभु मेरे को ये समस्या खत्म हो जाय, और वो चीज मिल जाये। सही बात है - जो दिमाग में चलता है वही भगवान के पास भी ध्यान आ ही जाता है।
मगर एक दूसरा भक्त है - उसकी समझ विस्तृत है। उसे अपनी अवस्था अनादि से संसार में भटकता हुई समझ में आ चुकी है। द्रव्यकर्म और भावकर्म का चक्र उसे एक चक्रवात के तूफ़ान की तरह दिखाई दे रहा है। आठ कर्म और विषयों की इच्छा उसे भयंकर रोग दिखाई दे रही है। और पूरी दुनिया में एक मोक्ष अवस्था ही सुखदायी दिखाई देती है। अब बताइये ऐसा भक्त जब प्रभु का नाम लेगा तो उसके परिणाम में गजब की शुद्धता क्यों नहीं बनेगी। अब उसकी प्रार्थना का फ़ल चमत्कारिक क्यों नहीं होगा?
संसार से भय होना, मोक्ष की रूचि होना बहुत दुर्लभ है। और वह सच्ची भक्ति का कारण है। इसलिये सच्ची भक्ति भी बहुत दुर्लभ है।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
इच्छा और अपेक्षा
🌿 *इच्छा और अपेक्षा* 🌿 1️⃣ इच्छा क्या है? इच्छा एक कामना है — किसी बात के होने की सरल अभिलाषा। जैसे — > “मुझे अच्छा स्वास्थ्य चाहिए।” ...
-
रत्नकरण्ड श्रावकाचार Question/Answer : अध्याय १ : सम्यकदर्शन अधिकार प्रश्न : महावीर भगवान कौन सी लक्ष्मी से संयुक्त है...
-
The overview of 8 anga is at: http://www.jainpushp.org /munishriji/ss-3-samyagsarshan .htm What is Nishchaya Anga, and what is vyavhaar: whi...
-
I present my trip details and learnings from my first and only visit to Acharya Shree Vidya Sagar Ji Maharaj's Sangh. I got fortunate to...
No comments:
Post a Comment