*संसार मार्ग क्या?*
जीव सुख प्राप्त करना चाहता है। मगर गलत समझ से गलत रस्ते पर चलता है। सुख मिलने के बजाय अपने दुखो को बढाने वाले आठ कर्मो को इकट्ठा करता रहता है। यह संसार मार्ग है।
*मोक्षमार्ग क्या?*
सही समझ से, सही रास्ते पर चलकर आठो कर्मो को नाश करते चले जाना मोक्ष मार्ग है।
*गलत रास्ता क्या है?*:
वस्तुओं में इष्ट अनिष्ट कल्पना करना और उससे राग-द्वेष करना और उससे हिंसादि, पंचेन्द्रिय पाप करना।
*गलत समझ:*
ये राग,द्वेष मेरे स्वभाव हैं। अजीव को अपना मानकर - उसमें अच्छा बुरा की कल्पना करना। मोक्ष को अपना लक्ष्य नहीं मानना।
*सही समझ:*
मैं जीव हूं। राग-द्वेष त्याज्य हैं। मोक्षा ग्रहण करने योग्य है।
*सही रास्ता:*
सम, शम। (सम का मतलब समता, शम का मतलब इन्द्रिय का शमन)
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सुख के लिये क्या क्या करता है।
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