त्याग या ग्रहण करने वाली चीजे छोटी भी हो सकती हैं या बढ़ी भी। छॊटी चीजे जैसे टीवी को देखना छोङ देना इत्यादि। बढ़ी चीजे जैसे साधु बन जाना या व्रत ले लेना।
जो वर्तमान में ग्रहण या त्याग किया है उस पर भी विचार करना चाहिये कि उसमें मेरे को फ़ायदा है या नुकसान। और विचार कर जो सम्यक लगे वैसा चारित्र में लेना चाहिये
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