Monday, April 6, 2020

अपना कल्याण पहले या दूसरो का?


अगर दूसरो का कल्याण में ही लग जाते हैं, तो अपना कल्याण गौण हो जाता है। दूसरे के कल्याण भी उतना ही हो पाता है जितना मेरा दानान्तराय का क्षयोपशम है और अन्य कर्मो की अनुकूलता है।

इसकी जगह अगर जीव विशुद्ध भावो से अपने कल्याण में ही लग जावे तो सातिशय पुण्य का बन्ध करता है और भविष्य में अपने आत्म उत्थान करने के बाद ज्यादा जीवो का कल्याण करता है।

अगर अपना कल्याण गौण करके दूसरो के कल्याण में ही लग जाता है तो अपना कल्याण भी विलम्ब को प्राप्त होता है और अपने वर्तमान में हीन कर्मो से उतना पर कल्याण भी नहीं कर पाता।

अतः अपना कल्याण मुख्य करे और अपने कल्याण में जब-जब स्थिरता ना बन पा रही हो तो थोङा समय पर कल्याण में देवें। एक सम्यक सन्तुलन बनाकर चले। मुख्यता स्व कल्याण की रहे।

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