Friday, October 10, 2014

Understanding of body by two perspectives


Understanding of body by Agyaani and Gyaani:

अज्ञानीज्ञानी
शरीर से जीवो की हिंसा करता हैं।शरीर का प्रयोग जीवो की रक्षा के लिए करता है।
वाणी का प्रयोग दूसरे को दुख पहुंचाने में, अपने को ऊंचा दिखाने में करता है।वाणी का प्रयोग दूसरे के हित के लिए ही करता है।
शरीर का प्रयोग परिग्रह इकट्ठा करने में करता है।शरीर का प्रयोग मात्र धर्म के एक उपकरण की तरह करता है। उसे परिग्रह नहीं मानता।
शरीर को सुन्दर दिखाकर सम्मान प्राप्त करने की इच्छा रखता है।शरीर की सुन्दरता की इच्छा नहीं रखता।
बार बार शरीर को दर्पण में देखकर खुश होता है।अशुचि भावना भाकर शरीर से विरक्त रहता है।
शरीर को बलिष्ट बनाकर सम्मान प्राप्त करने की इच्छा रखता है।इस प्रकार की इच्छा नहीं रखता।
अगर शरीर सुन्दर, बलिष्ट ना दिखे तो चिन्तित होता है।इस प्रकार से चिन्तित नहीं होता।
आंख का प्रयोग आकर्षक वस्तुओं को देखने के लियेआंख का प्रयोग शास्त्र स्वाध्याय आदि के लिये करता है।
कान का प्रयोग संगीत के लिएशास्त्र सुनने के लिए
नाक का प्रयोग सुगंध सुनने के लिए
जीह्वा का प्रयोग स्वाद के लिएमात्र स्वास्थ्य के लिए भोजन सा स्वाद जानने के लिये कि वो प्रकृति अनुकूल हो।
स्पर्शन का प्रयोग विषयों के लिए।
मन का प्रयोग आर्त, रौद्र ध्यान के लिए करता है।मन का प्रयोग धर्मध्यान आदि के लिए करता है।

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