जब हम ऊपर आसमान को देखते हैं.. तो नजरे जाती
हैं बादलो की तरफ़।
क्या हम कभी आसमान को देख पाते हैं? देखते हैं
तो उसका नीला रंग। मगर आसमान – क्या उसे देख पाते हैं?
अन्दर दृष्टि डालते हैं तो दिखते हैं- क्रोध,
मान, ईर्ष्या.. पल में उठने.. और पल में बिगङने वाले विचार। जैसे बादल नये नये बनते
रहते हैं.. और टूटते रहते हैं..
मगर वो canvass जिस पर ये रंग बिरंगे भाव उठते हैं.. वो कहां
है?
जहां वो बादल आते हैं, और जाते हैं, .. वो
आसमान कहां है..
बो मैं हूं.. चेतन!
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