जो दिखाई देता है, वो अचेतन
जो छूने में आता है, वो
अचेतन
जो सुनाई देता है, वो अचेतन
और तू चेतन।
अपनी बिरादरी से अलग, दूसरो के पास जाने से तुझे आज तक क्या मिला?
कौन अचेतन तेरा मित्र बन पाया, और कौन तेरा दोस्त
किसने वादा करके पूरा निभाया
....
तेरी पूर्णता चेतनपने में ही
है
प्राणी और इन्द्रिय संयम करके..
अपने चेतनमय हो जाने में ही है
वहीं तेरी पूर्णता है, वहीं तेरी
सम्पत्ति है
तो क्यों नहीं चल देता उस पथ
पर, जहां से लोटना ना हो..
जहां अचेतन ना हो..
केवल चेतन, केवल चेतन!
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