बहिरात्मा के गुण:
▪️शरीर के लिये सारा जीवन व्यतीत करता है।
▪️पुद्गलो में सुख ढूंढ़ता है। सुख सुविधा के साधन इकट्ठा करके सुखी होता है।
▪️इसका लक्ष्य होता है - मैं अपने व्यक्तित्व को कैसे बढ़ाऊं, कैसे धन कमाऊं, कैसे परिवार को बढ़ाऊं, कैसे अपने नाम को बढ़ाऊं
▪️एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा करता है।
अन्तरात्मा के गुण:
▪️संसार को छोटा करता चला जाता है।
▪️नाम, पद, प्रतिष्ठा को गौण करता है, अपने जीव को मुख्यता देता है
▪️आरम्भ, समारम्भ त्यागकर, सुख सुविधा, परिग्रह को कम करके प्रसन्न होता है।
▪️सबमें आत्मा के दर्शन करता है। सबको समान देखता है।
▪️अपनी आत्मा में सुख प्राप्त कर सन्तुष्ट होता है।
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